कर्नाटक में जनता दल सेक्यूलर और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार को तगड़ा झटका
लगा
है। दो निर्दलीय विधायक एच नागेश और
आर शंकर ने कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। माना जा रहा है कि
कांग्रेस के 10 और जनता दल सेक्यूलर के तीन विधायक कभी भी पाला बदल कर सियासी बम
फोड़ सकते हैं। खबर है कि गठबंधन के इन 13 विधायकों पर बीजेपी डोरे डाल रही है।
जाहिर है प्रदेश के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की कुर्सी खतरे में है। यही वजह
है कि भाजपा पर जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाते आ रहे
हैं। हालांकि बीजेपी का तथाकथित ऑपरेशन लोटस अभी तक कामयाब नहीं हो पाया है। वहीं
भाजपा अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए उन्हें गुरुग्राम में रखे हुए
है। यानि बीजेपी अपनी सेना सुरक्षित रखकर जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन पर ‘ऑपरेशन प्रहार’ कर रही है। हार या जीत के रूप
में नतीजे कभी भी आ सकते हैं। प्रदेश में कभी भी राजनीति की तगड़ी उठापटक
देखने को मिल सकती है। कर्नाटक में भाजपा के सियासी नायक येद्दयुरप्पा खुद कमान
संभाले हुए हैं। आइए आपको कर्नाटक के आंकड़े बता देते हैं जिसके आधार पर
मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए फिलहाल प्रदेश में राजनीतिक जंग जारी है। कर्नाटक
विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं जिनमें 104 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है वहीं
कांग्रेस के पास 80 विधायक हैं जबकि सत्तारूढ़ जनता दल सेक्यूलर के पास 37 विधायक
हैं। बसपा एक सीट पर काबिज है वहीं KPJP को भी एक सीट मिली है। एक
निर्दलीय जीतकर विधानसभा में पहुंचा है। 80 विधायकों का कुनबा होने के बाद भी
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सीएम नहीं बनने पर नाराज हैं। हो सकता
है कुमारस्वामी सरकार को बचाने के लिए वो कोई पहल करने से अपना हाथ पीछे खींच लें।
बीजेपी अगले हफ्ते कुमारस्वामी सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ला
सकती है। बहुमत के लिए सरकार को 113 विधायकों की जरूरत है। अब इस दौरान यदि बीजेपी
को इन तथाकथित बीजेपी समर्थक 13 विधायकों का साथ मिल गया तो कुमारस्वामी सरकार का
जाना तय हो सकता है। ऐसे में येद्दयुरप्पा के लिए सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का
रास्ता आसान हो सकता है।
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